BR Gavai: भारत के नए मुख्य न्यायाधीश और उनके ऐतिहासिक फैसले
न्यायमूर्ति BR गवई: भारत के 52वें CJI का कार्यभार
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार संभाला है। उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली। वे देश के दूसरे दलित CJI हैं और उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा। परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को यह पद दिया जाता है, और जस्टिस गवई उसी आधार पर चुने गए।
जस्टिस गवई का न्यायिक सफर और करियर ग्राफ
जस्टिस गवई ने 1985 में वकालत शुरू की और नागपुर व अमरावती नगर निगमों में वकील रहे। बाद में वे बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सरकारी वकील बने। 2003 में उन्हें हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले
जस्टिस गवई ने कई संविधान पीठों में भाग लिया, जो भारत के कानूनी इतिहास में मील का पत्थर माने जाते हैं।
- अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद को हटाने के फैसले पर उनकी पीठ ने 2023 में समर्थन किया।
- नोटबंदी: 2016 की नोटबंदी को उन्होंने 4:1 बहुमत से वैध ठहराया।
- ईडी निदेशक: संजय मिश्रा का कार्यकाल अवैध घोषित किया।
- बुलडोजर कार्रवाई: बिना कानूनी प्रक्रिया के संपत्ति गिराना असंवैधानिक बताया।
जस्टिस गवई का सामाजिक पृष्ठभूमि और योगदान
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता आरएस गवई बिहार और केरल के राज्यपाल रहे हैं और एक प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता थे।
वे देश के दूसरे एससी समुदाय के सुप्रीम कोर्ट CJI हैं। इससे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन को यह गौरव प्राप्त हुआ था।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
राजीव गांधी हत्या केस: 30 वर्षों से जेल में बंद दोषियों की रिहाई को मंजूरी।
वणियार आरक्षण: असंवैधानिक करार दिया गया।
राहुल गांधी को राहत: मोदी सरनेम केस में दोषमुक्ति।
तीस्ता शीतलवाड़ की गिरफ्तारी, मनीष सिसोदिया को जमानत, के कविता की गिरफ्तारी – इन सभी पर उन्होंने निर्णय सुनाए।
न्यायमूर्ति गवई के फैसले
भारत के दलित CJI
संविधान पीठ में जस्टिस गवई
अनुच्छेद 370 और नोटबंदी पर राय
CJI बीआर गवई का कार्यकाल
BR गवई सुप्रीम कोर्ट निर्णय

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