सुनीता विलियम्स: मिसिराम पेंटिंग, कलाकार बिहार की चर्चा में, सुनीता विलियम के सम्मान में बनाई गई।

Bihar News: कलाकार कुंदन कुमार बचपन से कलर ब्लाइंड हैं। उन्होंने नौ महीने बाद अंतरिक्ष से लॉटरी वैज्ञानिक सुनीता विलियम की मिथिला पेंटिंग बनाई है। अब इस पेंटिंग की खूब तारीफ हो रही है। 

भारत मूल की वैज्ञानिक सुनीता विलियम की अंतरिक्ष यात्रा के नौ महीने बाद, समस्तीपुर के कुंदन कुमार रॉय ने एक अद्भुत मिथिला पेंटिंग बनाई, जो उनकी असाधारण कला क्षमता का परिचय देती है। इस पेंटिंग में सुनीता विलियम और उनके साथी को समुद्र की ओर मछली के अंदर दर्शाया गया है। यह न केवल एक कला नहीं बल्कि अंतरिक्ष यात्रा और उसकी प्रेरणादायक कहानी को भी जीवंत करती है। यह पेंटिंग कुंदन के अपार कला कौशल और समर्पण को दर्शाती है। कुंदन की पेंटिंग्स ने कई मंचों पर सराहना प्राप्त की है। सुनीता विलियम के सम्मान में बनाई गई मिथिला पेंटिंग ने एक बार फिर से कुंदन को चर्चा में ला दिया है। इसके अलावा, टोक्यो ओलंपिक्स और भारतीय एथलीटों के लिए बनाई गई उनकी पेंटिंग ने भी लोगों का दिल जीत लिया था।

कुंदन रंग-बिरंगी दुनिया को केवल काले और सफेद रंगों में देख पाते हैं। कुंदन को कलर ब्लाइंडनेस (वर्णान्धता) है, रंगों के शेड्स पहचानने में कठिनाई महसूस करते हैं। हालांकि, उनके रंग-बिरंगे संसार की कमी उनके कला में कभी बाधा नहीं बनी। उन्होंने अपनी कला के माध्यम से यह साबित कर दिया कि कला में किसी भी प्रकार की सीमा नहीं होती। काले और सफेद रंगों के बावजूद, उनकी पेंटिंग्स में एक विशेष जीवंतता और संवेदनशीलता देखने को मिलती है। कुंदन की पेंटिंग्स को विभिन्न मंचों पर सराहना मिली है। सुनीता विलियम के सम्मान में बनाई गई मिथिला पेंटिंग को विशेष तौर पर सराहा गया। इसके अलावा, टोक्यो ओलंपिक्स और भारतीय एथलीटों के लिए बनाई गई पेंटिंग्स ने भी उन्हें पहचान दिलाई थी।  संस्कृति मंत्रालय ने भी उनकी पेंटिंग को ट्वीट करके उनकी सराहना की थी।

संघर्ष, धैर्य और आत्मविश्वास का भी प्रतीक है कुंदन की यात्रा
कुंदन की कला का यह सफर न केवल कला के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है, बल्कि उनकी जीवन यात्रा में संघर्ष, धैर्य और आत्मविश्वास का भी प्रतीक है। उनका कहना है कि मैं परफेक्ट चित्र नहीं बना पाता, लेकिन अपनी गलतियों को सुधारने में मेरी पत्नी और बहन मेरी मदद करती हैं। कुंदन कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई है। उनकी पेंटिंग्स विदेशों में भी प्रशंसा प्राप्त कर रही हैं, और कई विदेशी ग्राहक उनसे संपर्क में हैं। उनकी कला के बदले उन्हें एक अच्छी खासी रकम मिलती है, जो उनके परिवार के भरण-पोषण में मदद करती है।

कुंदन कुमार कहते हैं कि हर क्षेत्र में करियर बनाया जा सकता है, बस उसमें पूरी तरह से खुद को समर्पित करने की आवश्यकता है। उन्होंने नए कलाकारों को प्रेरित किया है कि वे अपनी कला को न सिर्फ एक पेशेवर दृष्टिकोण से देखें, बल्कि इसे अपने सपनों का हिस्सा बनाएं। कुंदन कुमार रॉय की कला को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। उन्हें विभिन्न पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया है:

  • जिला स्थापना दिवस (14 नवम्बर 2024) – समस्तीपुर जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित।
  • स्वच्छता लोगो (17 अगस्त 2024) – जिला अधिकारी रोशन कुशवाहा द्वारा सम्मानित।
  • मतदाता जागरूकता पर मिथिला पेंटिंग (2021) – बिहार सरकार के मुख्य सचिव द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान।
  • कोविड टीकाकरण पेंटिंग – गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
  • प्राइड ऑफ बिहार, भारत लीडरशिप अवार्ड, और मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड में ऑनरेरी डॉक्टरेट समेत कई अन्य पुरस्कार।

कला के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रहे कुंदन
कुंदन आज मिथिला पेंटिंग की ट्रेनिंग दे रहे हैं और युवाओं, महिलाओं, बच्चों को स्वरोजगार और कला के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रहे हैं। उनकी कला न सिर्फ एक पेशा है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक साधन भी है। कुंदन कुमार रॉय की कहानी यह साबित करती है कि अगर दिल में जुनून हो और मेहनत करने का इरादा हो, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनकी कला के माध्यम से उन्होंने यह दिखाया कि असल सफलता जीवन में किसी भी बाधा को पार करने में नहीं, बल्कि उस रास्ते पर चलते हुए अपने सपनों को पूरा करने में है। 

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