पिछले साल जून में दक्षिण अफ्रीका को हराकर टी20 विश्व कप जीता था। हालांकि, उस वक्त राहुल द्रविड़ टीम के मुख्य कोच थे और उन्होंने चैंपियन बनने के साथ विदा ली थी। इस बार टीम गौतम गंभीर के नेतृत्व में उतरी जिन्हें कुछ ही महीने पहले मुख्य कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
रोहित शर्मा की अगुआई वाली भारतीय टीम ने फाइनल में न्यूजीलैंड को हराकर 12 साल बाद चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीत लिया है। भारत ने इस तरह आठ महीने के भीतर लगातार दूसरा आईसीसी खिताब जीता है। इससे पहले टीम ने पिछले साल जून में दक्षिण अफ्रीका को हराकर टी20 विश्व कप जीता था। हालांकि, उस वक्त राहुल द्रविड़ टीम के मुख्य कोच थे और उन्होंने चैंपियन बनने के साथ विदा ली थी। इस बार टीम गौतम गंभीर के नेतृत्व में उतरी जिन्हें कुछ ही महीने पहले मुख्य कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। गंभीर पर पक्षपात करने के आरोप लगे और उनकी नीतियों पर सवाल भी खड़े किए गए, लेकिन वह अपने पहले ही आईसीसी टूर्नामेंट में टीम को खिताब दिलाने में सफल रहे।
अजेय रहकर चैंपियन बना भारत
तमाम आलोचनाओं और पक्षपात के आरोपों के बीच गंभीर के नेतृत्व में टीम इंडिया ने चैंपियंस ट्रॉफी में अपने अभियान की शुरुआत की। भारत इस टूर्नामेंट में स्टार तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के बिना उतरा जो चोट से उबर नहीं सके जिस कारण इस टूर्नामेंट से बाहर हो गए। बुमराह की अनुपस्थिति से कई पूर्व खिलाड़ियों ने मौजूदा टीम को कमतर आंका, लेकिन टीम ने बांग्लादेश के खिलाफ शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई।
गंभीर के नेतृत्व में पहला आईसीसी खिताब
पहले दो मुकाबलों में भारत ने हर्षित राणा को प्लेइंग-11 में मौका दिया, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ ग्रुप चरण के अंतिम मैच में टीम ने बदलाव करते हुए हर्षित की जगह स्पिनर वरुण चक्रवर्ती को मौका दिया। भारत इस मैच में चार स्पिनरों के साथ उतरा। मैच से पहले इस फैसले की भी आलोचना हुई, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत में स्पिनर चमके और वरुण की अगुआई में स्पिनरों ने दम दिखाया। भारत ग्रुप चरण में अजेय रहा और अब उसका सामना सेमीफाइनल में उसी ऑस्ट्रेलिया से हुआ जिसने 2023 वनडे विश्व कप के फाइनल में उसका सपना तोड़ा था। भारत ने इस मैच के लिए टीम में कोई बदलाव नहीं किया और गेंदबाजों के बाद बल्लेबाजों के दमदार प्रदर्शन से शान से फाइनल में पहुंचा। गंभीर पर पिछले सात महीनों में कई आरोप लगे और उनकी जमकर आलोचना हुई, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि वह अपने पहले ही आईसीसी टूर्नामेंट में टीम को खिताबी जीत दिलाने में सफल रहे।
सात महीने पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने पूर्व बल्लेबाज गौतम गंभीर को टीम इंडिया का मुख्य कोच नियुक्त किया था। गंभीर राहुल द्रविड़ के सफल कार्यकाल के बाद इस पद पर आए थे। उनके सामने कड़ी चुनौतियां थी। गंभीर की शैली द्रविड़ से काफी अलग थी और ऐसी चर्चा होनी शुरू हो गई थी कि उनके विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे सीनियर खिलाड़ियों से रिश्ते क्या बेहतर रहेंगे? कम समय में ही गंभीर के कार्यकाल की आलोचना होने लगी और उनकी शैली पर भी सवाल खड़े किए गए।
टी20 टीम में बदलाव से हुई शुरुआत
गंभीर ने पिछले साल जुलाई में भारतीय टीम के मुख्य कोच पद को संभाला था। गंभीर ऐसे समय पद पर आए जब भारत ने द्रविड़ के कार्यकाल में टी20 विश्व कप का खिताब जीता था। रोहित शर्मा और विराट कोहली ने टी20 अंतरराष्ट्रीय से संन्यास ले लिया था और इस प्रारूप में भारतीय टीम बदलाव के दौर से गुजर रही थी। माना जा रहा था कि हार्दिक पांड्या को टी20 टीम की कमान सौंपी जाएगी, लेकिन कप्तानी सूर्यकुमार यादव को मिली। यह हैरान करने वाला फैसला था, लेकिन टीम इंडिया में गंभीर का दौर शुरू हो चुका था और संभवतः सूर्यकुमार को कप्तानी मिलने में गंभीर की अहम भूमिका रही।
श्रीलंका दौरे से कार्यकाल हुआ शुरू
गंभीर ने अपने कार्यकाल की शुरुआत श्रीलंका दौरे से की, जहां टीम को तीन टी20 और इतने ही वनडे मैच खेलने थे। भारत ने सूर्यकुमार की अगुआई में शानदार प्रदर्शन किया और श्रीलंका के खिलाफ सीरीज 3-0 से जीती। अब बारी थी वनडे की, जिसमें टीम नियमित कप्तान रोहित के नेतृत्व में उतरी। गंभीर का मानना था कि श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज में सभी सीनियर खिलाड़ी हिस्सा लें, इसलिए रोहित-कोहली जैसे स्टार खिलाड़ी श्रीलंका दौरे का हिस्सा बने। हालांकि, भारत के लिए वनडे सीरीज अच्छी नहीं रही और श्रीलंका ने 2-0 से टीम इंडिया को मात दी। यह भारत की श्रीलंकाई धरती पर वनडे में द्विपक्षीय सीरीज में 26 साल में पहली हार थी।
वनडे में हार का ठीकरा गंभीर पर फूटा
श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज में निराशजनक प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया पर गंभीर की आलोचना होने लगी। उनकी तुलना द्रविड़ के कार्यकाल से की जाने लगी। हालांकि, यह कोच के रूप में उनका पहला ही दौरा था इसलिए बोर्ड ने भी इन आलोचनाओं को ज्यादा गंभीर नहीं लिया। श्रीलंका सीरीज के बाद भारतीय टीम को करीब एक महीने का ब्रेक मिला। आराम के बाद गंभीर की परीक्षा शुरू होनी थी। भारत को सितंबर से जनवरी के बीच 10 टेस्ट मैच खेलने थी और यह विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) 2023-25 चक्र के फाइनल में पहुंचने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण थे।
न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज गंवाई
भारत का सामना घर में बांग्लादेश से था जहां उसने दो मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-0 से क्लीन स्वीप किया। गंभीर के नेतृत्व में भारत ने पहली टेस्ट सीरीज में शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड से हुआ। तीन मैचों की इस सीरीज में भारतीय टीम का प्रदर्शन घरेलू मैदान पर काफी खराब रहा और टीम इंडिया लंबे समय के बाद घर में कोई टेस्ट सीरीज हारी। कीवी टीम ने भारत को उसी के घर पर 0-3 से मात दी जिससे भारत के लिए डब्ल्यूटीसी के फाइनल की राह कठिन हो गई। अब मौका था सबसे बड़ी परीक्षा का। नवंबर में भारत को पांच मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना था।
ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर शर्मनाक प्रदर्शन
पिछले दो ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर भारत ने टेस्ट सीरीज में जीत हासिल की थी और उसके सामने अपना दबदबा बरकरार रखने की चुनौती थी। भारत ने पर्थ में खेले गए पहले टेस्ट मैच में शानदार जीत दर्ज की और 1-0 की बढ़त बना ली। इससे गंभीर के साथ ही भारतीय टीम प्रबंधन ने राहत की सांस ली, लेकिन अगले ही मैच से मामला पलट गया और भारत ने एडिलेड में खेले गए पिंक बॉल टेस्ट को गंवा दिया। फिर दोनों टीमों के बीच ब्रिसबेन में खेला गया तीसरा मैच ड्रॉ रहा। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने मेलबर्न और सिडनी टेस्ट में जीत दर्ज कर ना सिर्फ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा जताया, बल्कि भारत का डब्ल्यूटीसी के फाइनल में लगातार तीसरी बार क्वालिफाई करने का सपना भी तोड़ दिया।
निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भविष्य पर उठे सवाल
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली करारी हार के बाद प्रशंसकों के सब्र का बांध टूट गया और सोशल मीडिया पर रोहित-कोहली के साथ ही गंभीर को हटाने की मांग ने जोर पकड़ लिया। प्रशंसकों ने ऑस्ट्रेलिया में मिली हार का दोष मुख्य तौर पर इन तीनों पर ही फोड़ा। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान ड्रेसिंग रूम में अनबन की खबरें भी सामने आने लगीं। रोहित को पांचवें टेस्ट से बाहर रखने के बाद उनके टेस्ट भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाने लगे।
वहीं, लगातार असफलता के बाद बीसीसीआई भी हरकत में आया और ऐसी खबरें सामने आई कि उसने खिलाड़ियों के लिए कुछ दिशानिर्देश बनाए हैं जिसमें सीमित समय तक परिवार को साथ रखना भी शामिल है। गंभीर पर पक्षपात करने के आरोप भी लगे और हर्षित राणा तथा वरुण चक्रवर्ती को लगातार मौके दिए जाने पर सवाल उठने लगे। इतना ही नहीं, कोचिंग स्टाफ में मोर्ने मोर्कल, अभिषेक नायर और रेयान डशकाटे को लेने पर भी गंभीर की आलोचना हुई।
भारत के हाथ से डब्ल्यूटीसी के फाइनल में पहुंचने का मौका निकल गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जाने लगा कि चैंपियंस ट्रॉफी के बाद बोर्ड गंभीर और रोहित-कोहली के भविष्य को लेकर कठिन फैसला कर सकता है। चैंपियंस ट्रॉफी से पहले भारत को इंग्लैंड के खिलाफ सीमित ओवर की सीरीज खेलनी थी। भारत ने सूर्यकुमार की अगुआई में पहले टी20 सीरीज जीती और फिर रोहित के नेतृत्व में इंग्लैंड को वनडे सीरीज में हराया। इसके बाद टीम ने लय बरकरार रखी और अजेय रहते हुए चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया।अपनी