सुप्रीमकोर्ट: हम लॉटरी केंद्रों को सेवाएं प्रदान करने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं अदालत में केंद्रकी याचिका

Supreme Court: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र की एक याचिका खारिज करते हुए कहा कि लॉटरी वितरक केंद्र सरकार को सेवा कर देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की पीठ सिक्किम उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्र की अपील से सहमत नहीं हुई।

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को लॉटरी वितरकों से सेवा कर वसूलने से जुड़ी केंद्र की एक याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि लॉटरी वितरक केंद्र सरकार को सेवा कर देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एनके सिंह की पीठ सिक्किम उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्र की अपील से सहमत नहीं हुई।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, “चूंकि इस संबंध में कोई एजेंसी नहीं है, इसलिए प्रतिवादी (लॉटरी वितरक) सेवा कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं थे। हालांकि, प्रतिवादी संविधान की सूची II की प्रविष्टि 62 के तहत राज्य की ओर से लगाए गए जुआ कर का भुगतान करना जारी रखेंगे।”

पीठ ने कहा, “लॉटरी टिकट के खरीदार और फर्म के बीच हुए लेन-देन पर सेवा कर नहीं लगाया जाता है… उपरोक्त चर्चाओं के मद्देनजर, हमें भारत संघ और अन्य द्वारा दायर अपीलों में कोई योग्यता नहीं दिखती। इसलिए, इन अपीलों को खारिज किया जाता है।”

सिक्किम उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि केवल राज्य सरकार ही लॉटरी पर कर लगा सकती है, केंद्र नहीं। केंद्र ने तर्क दिया था कि वह सेवा कर लगाने का हकदार है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय का यह कहना सही था कि लॉटरी “सट्टेबाजी और जुआ” की श्रेणी में आती है, जो संविधान की राज्य सूची की प्रविष्टि 62 का हिस्सा है और केवल राज्य ही इस पर कर लगा सकता है। केंद्र ने 2013 में शीर्ष अदालत का रुख किया था। उच्च न्यायालय का फैसला लॉटरी फर्म फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर आया था।

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